Saturday, October 4, 2008

घर है जंगल,बोलती इंसानों सा और नाम है पहाड़ी

घर है जंगल,बोलती इंसानों सा और नाम है पहाड़ी




वो बस्‍तर के घने जंगलों में रहती है और बोलती है बिल्‍कुल इंसानों सा ही है। दिनों-दिन उसके संख्‍या कम होती जा रही है। मुश्किल से अब उसकी संख्‍या सैकड़ों तक पहुंचेगी। धीरे-धीरे शायद वो विलुप्‍त हो जाए। उसकी संख्‍या बढ़ाने के सरकारी प्रयास भी लगभग असफल ही हुए हैं।

जी हां। सही पहचाना आपने, हम बात कर रहे हैं बस्‍तर की दुर्लभ पहाड़ी मैना की। पहाड़ी मैना छत्‍तीसगढ़ की राजकीय पक्षी भी है। बोलती है तो ऐसा लगता ही नहीं कि कोई पक्षी बोल रहा हो। आप जो बोलिए आपकी बोली की हू-बहू नकल हाजिर कर देगी वो। खुले आसमान में चहचहाती, उड़ती, स्‍वच्‍छंद पीली चोंच वाली काली मैना की खुबसूरती ही उसकी दुश्‍मन बनी। बस्‍तर के वनवासियों का प्रिय भोजन होने के कारण उसकी संख्‍या लगातार घटने लगी है। सरकार को देर से सही उसके विलुप्‍त होने का खतरा नज़र आया और उसने लगभग 2 दर्जन पहाड़ी मैना जंगलों से लाकर उसका प्रजनन बढ़ाने की योजना पर काम शुरू किया है।



इस बात को भी सालों हो गए लेकिन अब तक कोई सकारात्‍मक परिणाम सामने नहीं आया है। जगदलपुर से महज 3-4 कि.मी. दूर वन विभाग ने साल के कुछ पेड़ों को चेनलिंक फेन्सिंग के जरिए प्राकृतिक रूप से पिंजरे का आकार दिया है और उसमें कुछ पहाड़ी मैना को रखा गया है। यहां बताते हैं कि छत्‍तीसगढ़ के एक प्रभावशाली नेता ने उन्‍हें देखा और जब वे लौट रहे थे तो किसी पहाड़ी मैना ने गाली दे दी थी। सब हक्‍के-बक्‍के रह गए थे और इस बीच पेड़ों पर से दोबारा वो गाली की आवाज़ आई। तब सबको मामला समझ में आया। पहाड़ी मैना वन कर्मचारियों की गालियां सुनकर सीख चुकी थी और उसे दोहराती भी थी। नेताजी नाराज़ भी हुए और पहाड़ी मैना की नकल करने की क्‍वालिटी से प्रभावित भी हुए। उन्‍होंने सबको जमकर फटकार लगाई और ठीक से इंतजाम करने के निर्देश दिए।

बस्‍तर के साल वनों में काफी भीतर कभी-कभार पहाड़ी मैना दिख ज़रूर जाती है, लेकिन ये अब लगता है विलुप्‍त होने की कगार पर है। यही हाल रहा तो बहुत ज्‍़यादा दिन बाकी नहीं रहे जब लोग कहा करेंगे कि बस्‍तर में पहाड़ी मैना मिला करती थी। वो हू-बहू इंसानों की तरह बोलती थी। हालाकि राजकीय पक्षी घोषित होने के बाद उसकी सुध ली जा रही है, मगर सरकारी काम कैसा होता है ये सबको पता है। लगभग 39 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैला बस्‍तर जि़ला 1999 में 2 हिस्‍सों में बांटा गया था और अब ये बस्‍तर, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों में बंटा हुआ है। पहले दक्षिण बस्‍तर के जंगलों के अलावा भी पहाड़ी मैना दिख जाया करती थी, लेकिन अब सरायपाली, बसना और सिहावा नगरी के इलाकों से ये विलुप्‍त ही हो चुकी है।

प्रकृति की अद्भूत देन इस पहाड़ी मैना को विलुप्‍त होने से पहले देखने की इच्‍छा अगर आपकी है तो चले आईए बस्‍तर। तकदीर अच्‍छी रही, तो आपको पहाड़ी मैना आपकी तरह ही बोलती दिखाई दे जाएगी।



अनिल पुसदकर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार हैं । उनसे anil.pusadkar@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

9 comments:

दीपक कुमार भानरे said...

अनिल जी बड़े ही दुःख की बात है की अब हमारे सहचर कई प्राणी और बनस्पति इंसानी नादानी और स्वार्थ के चलते लुप्त होने के कगार पर है . आवश्यकता है इनके सरक्षण और संबर्धन के लिए लोगों को जागरूक करने और सही तरीके से उचित नीतियां बनाकर कडाई से लागू करने की .
तभी हम इन्हे सहेज पायेंगे . धन्यवाद .

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत से पक्षी चले जा रहे हैं। मुझे तो अपने आंगन की गौरैया की बड़ी फिक्र है।

राजीव रंजन प्रसाद said...

आदरणीय अनिल जी,

बस्तर की यह मैना संरक्षण चाहती है और इसके विज्ञानिक प्रयास किये जाने का समय आ गया है। यह केवल एक प्रजाति नहीं एक संस्कृति है..धन्यवाद इस महत्वपूर्ण व प्रसारित-प्रचारित किये जाने योग्य आलेख के लिये।

***राजीव रंजन प्रसाद

Anil Pusadkar said...

priya sanjeet tumhari vajah se maine kalam vapas uthai hai,aur tumhara sneh lagata hai ise jari rakhane par mazboor karta rahega.bastar par tumhara prayas bahut achcha hai aurisme mujhe jagah deneka shukriya.

Anonymous said...

मेरे मित्र संजीत के माध्यम से आज यह जानकारी मिली कि आपने ब्लाग पर अपना 100 वाँ लेख पूरा किया। पहाड़ी मैना पर इतने सुंदर लेख के लिए धन्यवाद। आपका लेख पढ़कर एक अजीब बात सूझी, मुझे लगा कि मैना में एक तरह से minute observation की क्षमता भी होगी। शायद इसी वजह से इतनी अच्छी मेमोरी(भले ही फिल्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध न हो)इसकी है। यह लेख मैना के बारे में बार-बार सोचने की इच्छा जगाता है।

रजनी भार्गव said...

आपका ब्लाग बहुत अच्छा लगा। मैना के बारे में लेख भी बहुत अच्छा लगा। प्रकृति की धरोहर को संजोने के लिये हम सब का जागरूक रहना आवश्यक है।

भूतनाथ said...

आपकी सुख समृद्धि और उन्नति में निरंतर वृद्धि होती रहे !
दीप पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

Roshani said...
This comment has been removed by the author.
Roshani said...

Thanks for giving information about Maina.
Wonderful and shame on us (human being) who is act like villain.