Thursday, July 31, 2008

मैना और बस्तर की पहचान

मैना और बस्तर की पहचान

सौरभ शर्मा


संजीत जी के माध्यम से जब मुझे यह जानकारी हुई कि बस्तर के सांस्कृतिक और प्राकृतिक वातावरण को लेकर ब्लाग बनाया जा रहा है तो मुझे इंतहा खुशी हुई कि अपनी जड़ों तक पहुँचने का मौका हमें मिलेगा। हमने अभी सभ्यता का लबादा ओढ़ लिया है और अपना सहज जीवन खो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद अभी तक हमारे भीतर एक आदिवासी कहीं न कहीं छिपा है।

मुझे यह लिखते हुए निर्मल वर्मा का यह संस्मरण याद आ गया जो उन्होंने नेशनल आर्ट गैलरी के संबंध में अपने अनुभवों के संबंध में लिखा था कि यहाँ पर मुझे एक वीथिका से दूसरी वीथिका में प्रवेश करते हुए(आधुनिक कला से आदिवासी कला) मुझे लगता है कि जैसी मेरी चेतना के बीचोंबीच एक फाँक खिंच गई है, एक तरह आधुनिक अनुभव है जो मेरे वास्तविक यथार्थ को प्रतिनिधित्व करता है- दूसरी तरफ अखंडित संपूर्णता का अनुभव है, जिस में मेरी संस्कृति का स्वप्न छिपा है- और बीच में कोई ऐसा धागा नहीं है जो मेरे वस्तु-अनुभव को मेरे स्वप्न अनुभव से जोड़ सके-हालाँकि दोनों ही मेरी समकालीन चेतना के सच्चे और प्रामाणिक पहलू हैं।



मुझे साथ ही एक न्यूज चैनल में देखा हुआ वेरियर एल्विन की विधवा का संस्मरण याद आया जो शहडोल के एक आदिवासी गाँव में बेहद खराब आर्थिक स्थिति में अपना जीवन गुजार रही हैं। यह प्रसंग मैंने इसलिए छेड़ा कि एल्विन ने अपना लंबा समय बस्तर के घने जंगलों में भी गुजारा था और इस जीवन को इतना आत्मसात कर लिया था कि बाद में शादी भी एक आदिवासी लड़की से की(आदिम जीवन हर अंचल में उतना ही सहजता और विविधता से भरा है चाहे शहडोल हो या बस्तर)।

पहाड़ी मैना को इस ब्लाग का लोगो बनाया गया है। इस मैना को देखने से छत्तीसगढ़ के इतिहास की एक पुरानी स्मृति उभर कर आई, बात तब की है जब महानदी को चित्रोत्पला कहा जाता था और इस नदी के माध्यम से रोमन सभ्यता से व्यापार भी होता था। शायद इसी से पहाड़ी मैना की जानकारी भी देश भर में पहुँची। 25 सदी ईपू में सम्राट आगस्टस को भेंट देने के लिए भारतीय व्यापारियों ने एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था जिसमें एक ऐसा लड़का था जो बाँये पैर के अंगूठे से तीर चलाता था, भारतीय सिंह और एक ऐसी मैना जो हूबहू मनुष्य की आवाज निकालती थी। मैना ने राजा आगस्टस को खुश कर दिया। मैना बस्तर की आदिम संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है जो इतनी खुशी से मेजबानों को रिसीव करती है। इस मैना ने भी तत्कालीन सीएम जोगी को वैसे ही खुश कर दिया था उनको हार्टली वेलकम कम्युनिकेट कर।


(रायपुर निवासी सौरभ शर्मा पत्रकार व साहित्यकार हैं। इनसे sourabh30b@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)